जिनके पास खाने को हरी सब्ज़ी, हैं... उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - गाय को खाना खिलाना चाहिए
- thebombaytalkiesstudios
- May 7, 2020
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मिलिटरी स्कूल के विद्यार्थी, संबके अंतरराष्ट्रीय ब्रांड एम्बेसडर, संस्कृत महानायक से विभूषित मेगास्टार आज़ाद ने कहा कि जिनके पास एक 3 बीएचके मकान है, फ़ुली फ़र्निश्ड... उनके मुँह से बात निकलती है - सब अपने घर में रहें। जिनके पास पूरे महीने का राशन है और होर्डिंग की नैतिक आदत भी झांक रही है... उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - खाने की चिंता ना करें, सरकार इंतज़ाम कर रही है। जिनके पास खाने को हरी सब्ज़ी, फल, नूडल, पास्ता, केक आदि उपलब्ध हैं... उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - गाय को खाना खिलाना चाहिए, कुत्तों को बिस्किट देने चाहिए। जिनके पास दो-दो तीन-तीन एयर कंडिशंड गाड़ियाँ हैं...उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - सड़कों पर मत निकलिए, सैकड़ों किलोमीटर चल कर ये मज़दूर क्यों जा रहे हैं। जिनके पास “लिव इन” मेड़ है...उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - इतनी भी सेविंग नहीं है कि 1-2 महीने मैनेज कर सकें! जिन्होंने अपनी पूरी टीम की तनख़्वाह काट दी लेकिन अपने ख़र्चों में कोई कमी नहीं की, उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - लॉक डाउन में बिज़नेस कहाँ बचा है, पैसा नहीं दे सकते। खुद की जेब से एक रुपया ना निकालते हों मगर अपनी पूरी कम्पनी से एक दिन की सैलरी डोनेट करवा ली हो, उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - देश को आपके सैक्रिफ़ायस की ज़रूरत है। जिनके घरों में भरा पूरा बार बना हुआ है, उन्हीं के मुँह से बात निकलती है - ये लाइन में लगे लोग, 40 दिन के हमारे लॉक डाउन की 40 मिनिट में ऐसी तैसी कर रहे हैं। ऐसे कई अनुभव हो रहे हैं रोज़ाना... एन95 के पीछे वाला चेहरा नज़र आने लगा है। हवा इतनी साफ़ हो गयी है कि अब इनकी बदनीयती भी नज़र आने लगी है। ये “प्रिवलेज्ड क्लास” अपना इंकम टैक्स भरता है (ऐसा लगता है) और सोचता है कि देश उन्हीं से शुरू उन्हीं से खतम होता है। ये मिडिल क्लास से कहीं ऊपर हैं और इसीलिए सोचते हैं कि जब तक उन्हें समस्या नहीं होती तब तक देश में समस्या होती ही नहीं है। आपके बच्चे और परिवार वालों को सरकार विदेश से लौटा लायी हो तो कुछ पैरों के छाले देख लें, भूख से तड़पते बदन देख लें, पानी पी कर पेट भरने वाले इंसान देख लें, सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चाल पड़ी घिसी हुई चप्पल देख लें, मुफ़्त की बात सुन कर टिकट का पैसा भरते वो पत्थर वाले हाथ देख लें। ये किसी दिन आपका हश्र ना हो जाए...सरकार आएगी, जाएगी , इसलिए सरकार पर निर्भर न रहें, किसी सहायता समूह को तलाशिए और अपनी हैसियत के मुताबिक़ मदद कीजिए। आपकी गिल्ट काम होगी शायद और आपको फ़ेसबुक पर लगाने के लिए एक तस्वीर मिलेगी।
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